आपके लिए पेश है महात्मा गाँधी पर हिंदी निबंध (mahatma gandhi essay in hindi) इस निबंध में महात्मा गाँधी जी की काफी सारी जानकारी दी गयी है।

mahatma gandhi essay in hindi

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महात्मा गाँधी हिंदी निबंध

प्रस्तावना : युग-प्रवर्तक महात्मा गाँधी ने संसार को "सत्य और अहिंस" रूपी ऐसे हथियार दिए, जिसकी शक्ति के समक्ष बन्दूके और बम भी बेकार पड़ गए। इन्हीं दो शास्त्रों का प्रयोग करके महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन का भारत से अन्त कर दिया।

जन्म-परिचय एवं शिक्षा : महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास कर्मचन्द गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर, सन्‌ 1869 को गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता 'कर्मचन्द गाँधी' राजकोट रियासत के दीवान थे। उनकी माता "पुतलीब" धार्मिक विचारों वाली सीधी-सादी महिला थी। गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबन्दर तथा राजकोट में हुई थी। हाईस्कूल में पढ़ते समय मात्र 13 वर्ष की आयु में उनका विवाह 'कस्तूरबा' से हुआ था। 18 वर्ष की आयु में मैट्रिक पास करके वकालत की पढ़ाई के लिए गाँधी जी इंग्लैण्ड चले गए। तीन वर्ष की पढ़ाई के बाद 1891 में गाँधी जी भारत वापस लौट आए और यहाँ वकालत करने लगे। उनकी अनुपस्थिति में उनकी माँ की मृत्यु हो गई और सन्‌ 1885 में उनके पिता भी स्वर्ग सिधार गए।

सन्‌ 1893 ई. में एक मुस्लिम व्यापारी का मुकदमा लड़ने के लिए गाँधी जी अफ्रीका गए। वहाँ अंग्रेजी शासक भारतवासियों पर बहुत अत्याचार करते थे। गाँधी जी यह सब सहन नहीं कर सके। उन्होंने 'गोरे-काले' जाति-भेद का विरोध किया और वहीं रहकर आन्दोलन भी किया, जिसमें उन्हें अपार सफलता मिली।

दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन : सन्‌ 1915 में गाँधी जी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौट आए। गाँधीजी के राजनैतिक जीवन का आरम्भ चम्पारन के “किसान सत्याग्रह” से हुआ। इस सत्याग्रह के समक्ष ब्रिटिश सरकार को झुकना पड़ा। इसके बाद गाँधी जी ने "रोलट एक्ट" का विरोध किया, जिसमें पूरा देश उनके साथ था। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए गाँधी जी अनेक बार जेल गए और सत्याग्रह भी किया। बिहार का नील सत्याग्रह, डाण्डी यात्रा या नमक सत्याग्रह उनके जीवन के प्रमुख सत्याग्रह थे। उन्होंने सन्‌ 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। गाँधी जी के अनेक प्रयासों से 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश स्वतन्त्र हो गया लेकिन जाते-जाते अंग्रेज अपने मकसद में सफल हों गए और हमारे देश का विभाजन हो गया-हिन्दुस्तान और पाकिस्तान नामक दो देश अलग-अलग हो गए।

उपसंहार : गाँधी जी ने अपना पूरा जीवन गरीबों, जरूरतमंदो तथा अछूतों के उद्धार में लगा दिया। उन्होंने नारी शिक्षा तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता पर भी जोर दिया। 30 जनवरी, 1948 ई. को गाँधी जी बिडला मन्दिर में प्रार्थना सभा में जा रहे थे तभी देशद्रोही नाथूराम गोडसे ने उन्हें गोलियों से भून दिया। उनके मुख से अन्तिम शब्द "हे राम" निकले। हमारे प्रिय 'बापू जी' आज शारीरिक रूप से हमारे साथ नहीं है, परन्तु वे मरकर भी अमर हैं। उनकी समाधि नई दिल्ली में 'राजघाट” के नाम से प्रसिद्ध हैं, जहाँ उनकी याद में हर समय दीपक जलता रहता है।


महात्मा गाँधी हिंदी निबंध PDF

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