आपके लिए पेश है नारी शिक्षा पर निबंध हिंदी में (nari shiksha par nibandh) इस निबंध में नारी शिक्षा के बारे में काफी सारी बाते लिखी गई है।

nari shiksha par nibandh

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नारी शिक्षा पर निबंध हिंदी

प्रस्तावना : नारी शिक्षा का अर्थ है स्त्रियों को शिक्षा का बराबर अधिकार प्राप्त होना। शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक मानव का जन्मसिद्ध अधिकार है। शिक्षा के बिना मनुष्य का जीवन पशु समान है। "बिना पढ़े नर पशु कहलावै" एकदम सही है। फिर नारी को ही समाज में शिक्षा का पूर्ण अधिकार प्राप्त क्यों न हो? अच्छाई-बुराई का सही निर्णय शिक्षित व्यक्ति ही ले सकता है। अशिक्षित व्यक्ति मेहनत-मजदूरी करके अपना पेट तो भर सकता है, लेकिन उसमें व्यवहारिकता, सामाजिकता तथा दुनियादारी की समझ नहीं होती । फिर नारी तो पूरे परिवार की धुरी होती है। बच्चे भी तो नारी के.बलबूते पर ही शिक्षित बनते हैं क्योंकि बच्चों की प्रथम पाठशाला घर ही होती है और घर की शोभा तो नारी ही है, फिर नारी का पढ़ा-लिखा होना तो बहुत आवश्यक है।

नारी का स्थान : नारी ही तो जन्मदात्री है। माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी सबकी उद्गम मात्र नारी ही है। आज भी कुछ लोग नारी को मात्र संतान उत्पन्न करने वाली, पालन-पोषण करने वाली तथा परिवारजनों की सेवा करने वाली त्याग की मूर्ति मात्र मानते हैं। लेकिन नारी का विकास केवल घर की चार दीवारी में रहकर नहीं हो सकता। शिक्षा द्वारा ही उसका सर्वागीण विकास सम्भव है। नारी के गुण-अवगुण ही तो उसकी भावी संतान में आते हैं।

नारी शिक्षा के अभाव के दुष्परिणाम : नारी शिक्षा के अभाव के कारण ही उस पर द्वापर युग से ही अत्याचार होता आया है। आज भी कम पढ़ी-लिखी महिलाएँ आसानी से अत्याचार सहन कर लेती हैं क्योंकि उनके पास अपने पैरों पर खड़ी होने वाली धरती अर्थात्‌ "शिक्षा" नहीं होती। इसके विपरीत शिक्षित महिलाएँ पुरुषों के अत्याचार सहन नहीं करती और विद्रोह पर उतर आती है। 

नारी शिक्षा का प्रारंभ : वैदिक काल में नारी को शिक्षा का अधिकार प्राप्त था। प्रत्येक धार्मिक ग्रंथ में भी पुरुष वर्ग के साथ-साथ नारी वर्ग की शिक्षा व्यवस्था भी दर्शायी गई है। वेदों और पुराणों के अनुसार तो कोई भी धार्मिक कृत्य स्त्री के बिना अधूरा है। इसी कारण पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं को भी शिक्षा दी गई। नारी तो प्रत्येक आपत्ति में पुरुष की सहगामिनी रही है। यहाँ तक कि 'रामचरितमानस', 'महाभारत', 'श्रीमद्भगवत्‌' में महिलाओं ने ही विजय प्राप्त करके धर्म-स्थापना करने में सहयोग दिया था। अकेला पुरुष कुछ नहीं कर सकता।

वर्तमान युग की शिक्षित नारी : आज की नारी पूर्ण रूप से जाग्रत तथा शिक्षा के प्रति सजग है। नारी जाति में एक क्रान्ति भावना देखकर ही आज पुरुष भी नारी का लोहा मानते हैं। आज हमारी सरकार भी गाँव-गाँव, शहर-शहर में महिला वर्ग के लिए अलग शिक्षा संस्थाओं को मान्यता प्रदान कर रही है। आज का तो नारा भी यही है कि "पढ़ी-लिखी लड़की, रोशनी घर की।"

नारी शिक्षा के कारण ही आज प्रत्येक सरकारी तथा गैर-सरकारी विभाग में नारी उच्च पद पर कार्यरत है। वे अपना कार्य पूरी कुशलता से करती है। नारी ही एक ऐसी जीव है जो घर और बाहर दोनों की जिम्मेदारी सफलतापूर्वक निभा सकती है।

उपसंहार : वास्तव में नारी शिक्षा का विशेष महत्द है। महिलाओं को साथ लिए बिना देश का पूर्ण विकास सम्भव नहीं है। आज की नारी पति का आर्थिक सहयोग कर परिवार की उन्नति में सहायक सिद्ध हो रही है। आज नारी में आत्मबल, आत्म-सम्मान तथा विश्वास की कोई कमी नहीं है। 


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