आपके लिए पेश है डॉ भीमराव अंबेडकर पर निबंध हिंदी में (dr bhimrao ambedkar essay in hindi) इस निबंध में डॉ भीमराव अंबेडकर जी की काफी सारी जानकारी दी गयी है।

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डॉ भीमराव अंबेडकर हिंदी निबंध 

भूमिका : भारतरत्न बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर स्वतन्त्र भारत के संविधान के निर्माता माने जाते हैं। उन्होंने हरिजन समाज की दुर्दशा को देखते हुए उन्हें सम्मान दिलाने तथा उनका अधिकार दिलाने का बीड़ा उठाया था। इसी कारण उन्हें "हरिजनों का मसीहा" माना जाता है। उन्होंने समाज से अनेक कुरीतियों को दूर करने का संकल्प किया था।

जीवन परिचय एवं शिक्षा : अम्बेडर साहेब का जन्म 14 अप्रैल सन्‌ 1891 को मध्य प्रदेश में इन्दौर के पास "महु" नामक गाँव में एक हरिजन परिवार में हुआ था। डॉ. भीमराव अम्बेडकर का वास्तविक नाम "सकपाल" था। "अम्बेडकर" नाम तो उन्हें उनके एक अध्यापक ने दिया था। आपके पिता का नाम श्री रामजी मौला जी था, जो एक सैनिक स्कूल में प्रधानाध्यापक थे। श्रीराम जी की दिली इच्छा थी कि उनका बेटा पढ़ लिखकर समाज में फैली कुरीतियों को दूर करे। सोलह वर्ष की आयु में अम्बेडर के मैट्रिक पास करते ही उनका विवाह रामबाई नामक किशोरी से करा दिया गया था। डॉ. अम्बेडकर बचपन से ही एक कुशाग्र बुद्धि बालक थे। पिता की नौकरी छूट जाने पर उनकी पढ़ाई में आर्थिक बाधा आने लगी, लेकिन उन्होंने साहस नहीं छोड़ा और बड़ी लगन से पढ़ाई की। सन्‌ 1912 ई. में बी.ए. की डिग्री प्राप्त की एवं सन्‌ 1913 ई. में बडौदा के महाराज्य से छात्रवृत्ति प्राप्त कर वे उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु अमेरिका चले गए। सन्‌ 1913 से 1917 तक आपने इंग्लैंड व अमेरिका में शिक्षा प्राप्त की एवं वहाँ से अर्थशास्त्र, कानून एवं राजनीतिशास्त्र में एम.ए., पी.एच.डी. एवं एन.एल. बी. की डिग्रियाँ प्राप्त कर भारत लौट आए।

छुआछूत के विरुद्ध संघर्ष : विदेश से भारत वापस आने पर बडौदा के महाराजा ने उन्हें सैनिक सचिव के पद पर नियुक्त कर दिया। परन्तु उन्हें हर कदम पर जातिगत भेदभाव अर्थात्‌ छुआछूत के भेदभाव के कारण अपमान सहना पड़ा। जब उनसे यह अपमान सहन नहीं हुआ तो उन्होंने वह पद छोड़ दिया और मुम्बई जाकर अध्यापन कार्य करने लगे। लेकिन वहाँ पर भी उनके सामने यही समस्या खड़ी हो गई। उनका दिल नीची जाति के लोगों के बारे में सोच-सोचकर रोने लगा। वे सोचते थे कि जब मुझ जैसे पढ़े-लिखे व्यक्ति को इतना अपमान सहना पड़ता है तो उन लोगों का क्या जो एकदम अंगूठा टेक हैं। अन्त में उन्हें वकालत का पेशा अपनाना पड़ा। इसी बीच उन्होंने छुआछूत के विरुद्ध युद्ध जारी रखा। वे गाँधी जी के सम्पर्क में आए और उनके विचारों से बहुत प्रभावित हुए। तभी उन्होंने एक 'मूक' शीर्षक पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्भ किया। इस पत्रिका में उन्होंने दलित उद्धार से सम्बन्धित अनेक लेख लिखें जिसका शिक्षित उच्च वर्ग तथा दलित वर्ग दोनों पर गहरा प्रभाव पड़ा।

राजनीतिक जीवन : सन्‌ 1947 में भारत के स्वतन्त्र होने पर पहले उन्हें पं. जवाहर लाल नेहरू के मन्त्रिमंडलं में कानून मंत्री बनाया गया। भारत का संविधान बनाने वाली समिति के अध्यक्ष चुने गए। उन्होंने यह कार्य सन्‌ 1948 में पूरा कर भारत के नए संविधान का प्रारूप राष्ट्रपति महोदय को सौंप दिया। डॉ. अम्बेडकर के अथक प्रयासों से ही भारतीय संविधान में जाति, धर्म, भाषा व लिंग के आधार पर सभी तरह के भेदभाव समाप्त कर दिए गए।

बौद्ध धर्म की स्थापना व मृत्यु : अन्त में डॉ. भीमराव अम्बेडकर का मन अपने मूल धर्म से विचलित हो गया। सन्‌ 1955 में उन्होंने "भारतीय बौद्ध सभा" की स्थापना की तथा 14 अक्टूबर, 1956 को आपने बौद्धधर्म की दीक्षा ले ली। उनका निधन 6 दिसम्बर, 1956 ई. को नई दिल्ली में हुआ।

उपसंहार : डॉ. अम्बेडकर ने अपने मजबूत इरादों एवं इच्छाशक्ति से यह सिद्ध कर दिया कि दलित जाति में पैदा होकर भी व्यक्ति महान बन सकता है तथा कोई भी व्यक्ति परिश्रम, लगन तथा सच्ची निष्ठा से ऊँचा स्थान पा सकता है। उनकी जन-जीवन के इन्हीं महान कार्यों के लिए उन्हें भारत सरकार की ओर से मरणोपरान्त "भारतरतल" से विभूषित किया गया। निःसन्देह यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।


डॉ भीमराव अंबेडकर हिंदी निबंध PDF

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